बेंगलुरु, 19 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ की तीन दिवसीय बैठक बेंगलुरु में 21-23 मार्च को आयोजित की जाएगी।
इस बैठक में संघ के प्रमुख मोहन भागवत, महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, और सभी सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि समेत 1480 कार्यकर्ता शामिल होंगे।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगी, क्योंकि 2025 में आरएसएस की स्थापना को 100 साल पूरे हो जाएंगे।
आंबेकर ने कहा, “हम अपने शताब्दी वर्ष से जुड़े सभी कार्यक्रमों पर चर्चा करेंगे और निश्चित रूप से हम 23 तारीख को ही इसकी घोषणा करेंगे। दो प्रस्ताव होंगे, एक बांग्लादेश के बारे में और दूसरा प्रस्ताव आरएसएस की 100 साल की यात्रा और हमारे अगले कदम के बारे में होगा। हमारे शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए बहुत काम किया गया है, खास तौर पर यह कि हमारी शाखाएं हर जगह पहुंची है और हमें इसे विस्तार देना है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बेंगलुरु में चार साल बाद यह बैठक हो रही है और शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ के कार्यक्रमों को विस्तार से साझा किया जाएगा।
जब संघ के प्रचार प्रमुख से पूछा गया कि क्या औरंगजेब आज भी प्रासंगिक है और क्या उसकी कब्र को हटाया जाना चाहिए, तो उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह प्रासंगिक नहीं है। किसी भी प्रकार की हिंसा को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।”
नागपुर में हुई हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “किसी भी प्रकार की हिंसा समाज के लिए हानिकारक होती है। मुझे लगता है कि पुलिस ने इसका संज्ञान लिया है और वे मामले की विस्तृत जांच करेंगे।”
–आईएएनएस
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