Home मनोरंजन पर्दे पर असली हीरो की भूमिका निभाने से मुझे प्रेरणा मिलती है : विक्की कौशल (आईएएनएस साक्षात्कार)

पर्दे पर असली हीरो की भूमिका निभाने से मुझे प्रेरणा मिलती है : विक्की कौशल (आईएएनएस साक्षात्कार)

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पर्दे पर असली हीरो की भूमिका निभाने से मुझे प्रेरणा मिलती है : विक्की कौशल (आईएएनएस साक्षात्कार)

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस) ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘राजी’, ‘सरदार उधम’ या नवीनतम रिलीज ‘सैम बहादुर’ करने वाले अभिनेता विक्की कौशल के साथ कुछ ऐसा होता है कि जब वह स्क्रीन पर वर्दी पहनते हैं तो वह अपनी सफलता की कहानी खुद लिखते हैं।

स्टार का कहना है कि उन्हें एक वास्तविक नायक की भूमिका निभाने से प्रेरणा मिलती है।

विक्की ने आईएएनएस को बताया, “मुझे लगता है कि यह भारतीय सेना के लिए वास्तविक सम्मान है और स्वाभाविक रूप से मैं एक वास्तविक नायक की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित होता हूं। मुझे यह बहुत बढ़िया लगता है।”

उन्‍होंने कहा, ”जब भी मुझे वास्तविक सेना कर्मियों के साथ बातचीत करने का मौका मिलता है तो मैं निःशब्द हो जाता हूं और उनसे प्रेरित होता हूं कि जब भी मुझे उनकी भूमिका निभाने का अवसर मिलता है तो यह अवचेतन भाव होता है कि इसमें जान फूंकनी है, मैं इसे हल्के में नहीं ले सकता।”

“वह किरदार सबकॉन्शियस रुप से मेरे काम में दिखता है। हम अपनी सभी फिल्मों में काम और प्रयास करते हैं और जिम्मेदारी की वह भावना ही मुझमें कुछ न कुछ निखार लाती है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि वर्दी में कुछ खास है, नेशनल क्रश ने कहा, “बेशक।”

विक्की की नवीनतम रिलीज ‘सैम बहादुर’ है, जो भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के जीवन पर आधारित एक जीवनी युद्ध ड्रामा फिल्म है। इसका निर्देशन मेघना गुलज़ार ने किया है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारतीय सेना का नेतृत्व किया।

फिल्म में मानेकशॉ की भूमिका के बारे में बात करते हुए विक्की इस बात से सहमत हैं कि उनकी आभा में कुछ अनोखा था।

उन्होंने कहा, ”उनकी आभा वर्दी तक ही सीमित नहीं थी। ऐसा नहीं था कि जब वह अपनी वर्दी पहनते थे तो उनके पास यह आभा होती थी और जब वह नहीं पहनते थे तो यह आभा नहीं होती थी। उनमें बस यही आभा और तेजतर्रार भावना थी। भावना सिर्फ उनकी शारीरिक भाषा से कहीं अधिक उस पर केंद्रित थी।”

क्या उन्होंने मानेकशॉ से कुछ सीखा?

35 वर्षीय स्टार ने कहा, “जिस तरह से वह बैठते थे, उनके शारीरिक हाव-भाव को समझने में मुझेे समय लगा, वह मेरे बैठने का सामान्य तरीका बन गया, जिस तरह से वह खड़े होते थे, वह मेरी सामान्य मुद्रा बन गई और इसे दूर होने में समय लगा, क्योंकि मैं सात महीने से ऐसा कर रहा था। सचमुच मैं वह बनने के लिए 12 घंटे तक शूटिंग करता रहा।”

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता इस फिल्म के माध्यम से मानेकशॉ का जीवन जीने के लिए खुद को भाग्यशाली मानते हैं।

अभिनेता ने कहा, ”मैं उनके जीवन को जीने की कोशिश करने और जीवन को देखने के उनके तरीके को समझने के लिए धन्य महसूस करता हूं।”

–आईएएनएस

एमकेएस

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