Home उत्तर प्रदेश चीन सहित अन्य देशों से सिर्फ 200 लाख मीट्रिक टन यूरिया आयात हुआ : मनसुख मंडाविया

चीन सहित अन्य देशों से सिर्फ 200 लाख मीट्रिक टन यूरिया आयात हुआ : मनसुख मंडाविया

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चीन सहित अन्य देशों से सिर्फ 200 लाख मीट्रिक टन यूरिया आयात हुआ : मनसुख मंडाविया

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नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने 285 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन लक्ष्‍य हासिल कर लिया है और इस समय केवल 200 मीट्रिक टन अन्य देशों से आयात किया गया है, जिसमें चीन भी शामिल है।

उन्होंने चीन से यूरिया और उर्वरकों के आयात का मुद्दा उठाने के बाद कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन के एक सवाल का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की।

हुसैन ने राज्यसभा में कहा : “आत्मनिर्भर भारत’ पर बहुत सारी खबरें हैं और चीन मुद्दे पर भी सरकार के बड़े दावे हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सरकार अभी भी चीन से यूरिया और उर्वरक आयात कर रही है।

उन्‍होंने कहा, “यदि हां, तो मूल्य और मात्रा क्या है, और सरकार चीन से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए क्या उपाय कर रही है?”

मंडाविया ने कहा, “2014 में हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद हमने उन संयंत्रों को फिर से शुरू करने की तैयारी की जो बंद थे। चार संयंत्र – गोरखपुर, रामागुंडम, सिंधरी और बरौनी शुरू हो गए हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत का उत्पादन अब बढ़कर 285 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

उन्होंने कहा, “हमारी बाकी ज़रूरतों के लिए हम टेंडर जारी करते हैं और निर्माता उनकी कीमत बताता है। यह चीन से भी आयात किया जाता है।”

जब उन्होंने कहा कि यूरिया भी चीन से आयात किया जाता है, तो सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिस पर मंत्री ने जवाब दिया कि यह परंपरा आपने (कांग्रेस) द्वारा शुरू की थी और आपने हमें विरासत में जो दिया है, वह यह साबित करता है।

मंडाविया ने कहा, ”हमने पांच संयंत्रों की आधारशिला रखी है, जबकि सरकारी तीन निजी क्षेत्र के संयंत्रों में नई यूरिया नीति लाकर उत्पादन शुरू किया गया है।”

मंडाविया ने कहा, “आज, हम केवल 200 लाख मीट्रिक टन आयात करते हैं। जब हम वैश्विक निविदा जारी करते हैं, तो क्या हम एक देश से दूसरे देश से खरीद रहे हैं तो क्या हमें उर्वरक नहीं लेना चाहिए? हम अपने किसानों को बिना खाद के कैसे छोड़ सकते हैं? राजनीति करने की भी एक सीमा होती है।”

उन्‍होंने पूछा, “अगर हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के बारे में सोच रहे हैं, तो क्या गलत कर रहे हैं?”

–आईएएनएस

एसजीके

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