Saturday, November 23, 2024

कानों सुनी: राहुल गांधी के 90 मिनट, 20 मुद्दे, और सरकार को खड़े होने पर मजबूर किया, अब आगे क्या?

2 जुलाई | समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक नजदीकी नेता काफी उत्साहित हैं। वे रोजाना फोन पर बताते हैं कि लोकसभा में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी किस तरह तालमेल के साथ काम कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, आगामी यूपी उपचुनाव में भी इसी तालमेल की झलक देखने को मिलेगी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के लिए यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण क्षण था। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने 90 मिनट में 20 मुद्दों पर जो कहा, उससे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, कानून मंत्री, संसदीय मामलों के मंत्री सहित पूरी सरकार खड़ी हो गई। गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि वह राहुल को अधिक सहूलियत दे रहे हैं, तो राहुल ने पलटकर कहा कि पीएम के सामने लोकसभा अध्यक्ष झुक जाते हैं। स्थिति और तब कठिन हो गई जब प्रधानमंत्री ने बीच में उठकर दो-तीन वाक्यों में टोका, और राहुल अपनी बात पर अडिग रहे। सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, सदन की कार्यवाही के बाद माहौल काफी तनावपूर्ण था। लोकसभा अध्यक्ष के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है कि वे कैसे संतुलन बनाए रखेंगे? सत्ता पक्ष भी नेता विपक्ष को संभालने के उपाय में जुटा है। हालांकि, भाजपा के कुछ नेता स्वीकारते हैं कि यह स्थिति तो आनी ही थी।

तालमेल बनाकर चल रही है यूपी के दो लड़कों की जोड़ी

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी एक नेता काफी उत्साहित हैं। वे रोजाना फोन पर बताते हैं कि लोकसभा में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी कितनी अच्छी तरह तालमेल से काम कर रही है। सूत्रों का कहना है कि यूपी में होने वाले उपचुनाव में भी इस तालमेल की झलक दिखाई देगी। कांग्रेस के नेता भी इन दिनों राहुल गांधी के साथ-साथ अखिलेश यादव की तारीफ कर रहे हैं। खबर है कि प्रियंका गांधी वाड्रा और डिंपल यादव की केमिस्ट्री भी गहरी हो रही है। यूपी से कांग्रेस के टिकट पर चुनकर आए एक सांसद का कहना है कि अगर यह तालमेल चलता रहा तो 2027 तक भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। राहुल गांधी का तेवर और अखिलेश का पीडीए पूरी तस्वीर बदलकर रख देगा।

रणदीप जी, शैलजा जी सुन लो, हमें हरियाणा में एक कांग्रेस चाहिए?

कुमारी शैलजा पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं। वह हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलने आई थीं। उन्हें थोड़ा झटका लगा है। 10, जनपथ से साफ संदेश मिला है कि गुटबाजी बंद होनी चाहिए। शैलजा के साथ-साथ यह संदेश राहुल गांधी के प्रिय रणदीप सुरजेवाला तक भी पहुंच गया है। किरण चौधरी को पहले ही पता चल गया था कि इस बार उनकी चाल नहीं चलने वाली है। लिहाजा, उन्होंने अपनी बेटी श्रुति के साथ भाजपा का दामन थाम लिया है। किरण के जाने के बाद कांग्रेस भिवानी, महेंद्रगढ़ जैसे किरण के प्रभाव वाले क्षेत्रों में नुकसान कम करने में जुट गई है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को 90 में से 55-60 सीटें जीतने का भरोसा दे रहे हैं। हुड्डा के भरोसे पर प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी को भी पूरा विश्वास है। हुड्डा के पास इसके ठोस आधार भी हैं।

हुड्डा कहते हैं कि इस बार जाट, दलित, मुस्लिम कहीं नहीं जाने वाले। किसानों के बीच में भाजपा की हालत पतली है। तीसरे, हरियाणा में एक नया वर्ग उभरा है, जिसने केवल भाजपा को हराने की कसम खाई है। बस एक मांग है – पार्टी में हुड्डा की कांग्रेस, इनकी कांग्रेस (गुट), उनकी कांग्रेस (गुट) नहीं चलनी चाहिए। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने भी इस मसले को गंभीरता से लेते हुए सख्त लहजे में कह दिया है कि पार्टी में इस बार गुटबाजी की कोई जगह नहीं है।

विधानसभा चुनावों की तैयारी

महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ये चुनाव अक्टूबर महीने तक प्रस्तावित हैं। भाजपा के अंदरूनी सर्वे के रुझान में नतीजे मनमाफिक नहीं आ रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को देखकर पार्टी के रणनीतिकार ने कमान संभाल ली है, लेकिन मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी (अजीत पवार) एक चुनौती बन रही है, जबकि शिवसेना (एकनाथ शिंदे) लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से अधिक आत्मविश्वास से भरी हुई है और साझेदारी में 60-80 सीटों का सपना देख रही है। भाजपा की अंदरूनी समस्याएं भी बढ़ी हैं। लोकसभा चुनाव के बाद गुटबाजी भी बढ़ी है। हालांकि, महाराष्ट्र में बजट से पहले भाजपा ने राज्य के खजाने का मुंह खोल दिया है और युवा, महिला, बेरोजगार, किसान सभी को लुभाने में जुट गई है। झारखंड में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी पार्टी का जमीनी ग्राफ बढ़ रहा है। हरियाणा से आ रहे नतीजे महाराष्ट्र से भी खराब हैं।

मायावती को सब छोड़ गए, लेकिन भतीजा आनंद है उनके पास

2019 में बसपा के 10 सांसद लोकसभा में थे। 2024 में कोई नहीं है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा से केवल एक विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचा था। राज्यसभा में इकलौते सदस्य रामजी गौतम बचे हैं। यहां तक कि पासी, कोईरी, कुर्मी, पटेल, मुसहर, नोनिया, धोनिया, काछी, कहार जैसी तमाम जातियां भी धीरे-धीरे बसपा से खिसक गई हैं। सबसे बड़ा खतरा तो पार्टी के राष्ट्रीय बने रहने पर मंडरा रहा है। बसपा के बचे-खुचे नेता बोलते नहीं, लेकिन दबी जुबान से मायावती को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। बिजनौर 2024 के प्रत्याशी चौधरी विजेंद्र सिंह ने हाल ही में बसपा छोड़ दी। बसपा के एक और नेता कहते हैं कि बसपा में बचा ही क्या है? बस मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद। आकाश भी मासूम हैं। जब चाहती हैं बहन जी उन्हें अपरिपक्व बना देती हैं और जब चाहती हैं, परिपक्व बनाकर ताजपोशी कर देती हैं।

राहुल गांधी के जोश का राज क्या है?

राहुल गांधी का सचिवालय इन दिनों काफी उत्साहित है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी के तेवर देखने लायक हैं। सुनील कानूगोलू भी काफी प्रसन्न हैं। राहुल गांधी के सोशल मीडिया को संभालने वाली टीम लगातार मिल रहे नतीजों से उत्साहित है। यही हाल कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की टीम का भी है। फिलहाल प्रियंका की टीम केरल के वायनाड में जड़े जमा रही है। दोनों नेताओं की टीमों को हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और यदि चुनाव हुए तो जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का भरोसा है। शिवसेना के नेता संजय राऊत भी कहते हैं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। ऐसा ही होने वाला है। राहुल गांधी की टीम में काम कर रहे सूत्र के अनुसार, जोश के लिए आखिर क्या चाहिए? वह कहते हैं कि हमेशा दिन एक जैसा नहीं रहता। यह तो समय का पहिया है, जो घूमता रहता है।

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