नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय चाय बोर्ड द्वारा जारी लेटेस्ट आंकड़ों से पता चलता है कि भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक बाजार में अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का चाय निर्यात 2024 में 10 साल के उच्चतम स्तर 255 मिलियन किलोग्राम पर पहुंच गया।
आंकड़ों के अनुसार, देश के निर्यात में वर्ष 2023 के दौरान रिकॉर्ड 231.69 मिलियन किलोग्राम से 10 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई।
निर्यात बाजार में भारतीय चाय की औसत कीमत में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे चाय उद्योग को राहत मिली, जो 2023 में खराब मौसम से प्रभावित हुआ था।
उन्होंने कहा कि इराक को किए जाने वाले निर्यात में शानदार वृद्धि हुई है, जो चाय निर्यात का 20 प्रतिशत है और व्यापारियों को इस वित्त वर्ष में पश्चिम एशियाई देश को 40-50 मिलियन किलोग्राम चाय भेजने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका में फसल कम होने पर पश्चिम एशिया के कई बाजारों में प्रवेश करने वाले भारतीय निर्यातक वहां शिपमेंट की मात्रा को बनाए रखने में कामयाब रहे।
भारत 25 से अधिक देशों को चाय निर्यात करता है, जिसमें यूएई, इराक, ईरान, रूस, अमेरिका और यूके प्रमुख बाजार हैं।
भारत दुनिया के टॉप पांच चाय निर्यातकों में से एक है, जो कुल विश्व निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है।
भारत की असम, दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय दुनिया की सबसे बेहतरीन चाय मानी जाती है।
भारत से निर्यात की जाने वाली अधिकांश चाय ‘ब्लैक टी’ है, जो कुल निर्यात का लगभग 96 प्रतिशत है।
अन्य किस्मों में रेगुलर टी, ग्रीन टी, हर्बल टी, मसाला टी और लेमन टी शामिल हैं।
भारत ने चाय उत्पादन को बढ़ावा देने, भारतीय चाय के लिए एक विशिष्ट ब्रांड बनाने और चाय उद्योग से जुड़े परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
असम घाटी और कछार असम में दो चाय उत्पादक क्षेत्र हैं। पश्चिम बंगाल में, दोआर्स, तराई और दार्जिलिंग तीन प्रमुख चाय उत्पादक क्षेत्र हैं।
भारत का दक्षिणी भाग देश के कुल उत्पादन का लगभग 17 प्रतिशत उत्पादन करता है, जिसमें तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
छोटे चाय उत्पादक उभरता हुआ क्षेत्र है जो कुल उत्पादन में लगभग 52 प्रतिशत का योगदान देता है।
वर्तमान में, सप्लाई चेन में लगभग 2.30 लाख छोटे चाय उत्पादक मौजूद हैं।
भारत सरकार ने चाय बोर्ड के माध्यम से इस क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
इनमें 352 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), 440 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और 17 किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) का गठन शामिल है।
गुणवत्तापूर्ण तुड़ाई, क्षमता निर्माण और फसल प्रबंधन के लिए एसटीजी के साथ विभिन्न बातचीत भी की जाती है।
इसके अलावा, प्रूनिंग मशीनों और मैकेनिकल हार्वेस्टर की खरीद के लिए सहायता प्रदान की गई है।
उद्यमियों और बेरोजगार युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए मिनी चाय कारखाने भी स्थापित किए गए हैं।
भारतीय चाय उद्योग में 1.16 मिलियन कर्मचारी सीधे तौर पर कार्यरत हैं और इतने ही लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
–आईएएनएस
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