Monday, March 10, 2025

सबमरीन टेलीकॉम केबल नेटवर्क के लिए भारत बन सकता है 'ग्लोबल हब'


नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। ग्लोबल सबमरीन केबल नेटवर्क में अहम भूमिका निभाने के साथ भारत में अपनी रणनीतिक भौगोलिक स्थिति के कारण बाजार पर और अधिक प्रभावी होने की क्षमता है।

देश में वर्तमान में मुंबई, चेन्नई, कोचीन, तूतीकोरिन और त्रिवेंद्रम में स्थित 14 अलग-अलग लैंडिंग स्टेशनों पर लगभग 17 अंतरराष्ट्रीय समुद्री केबल हैं।

2022 के अंत में इन केबलों की कुल क्षमता क्रमशः 138.606 टेराबिट प्रति सेकंड (टीबीपीएस) और 111.111 टीबीपीएस थी।

देश में अभी लगभग 17 अंतर्राष्ट्रीय समुद्री केबल हैं जो मुंबई, चेन्नई, कोचीन, तूतीकोरिन और त्रिवेंद्रम में 14 अलग-अलग जगहों पर पहुँचते हैं।

सबमरीन केबल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटरों में टाटा कम्युनिकेशंस शामिल हैं, जिसके पास मुंबई, चेन्नई और कोचीन में पांच केबल लैंडिंग स्टेशन हैं; ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज के पास मुंबई और त्रिवेंद्रम में स्टेशन हैं; भारती एयरटेल चेन्नई और मुंबई में स्टेशनों का संचालन करती है; सिफी टेक्नोलॉजीज और बीएसएनएल दोनों विभिन्न केबल लैंडिंग स्टेशनों के संचालन में शामिल हैं; वोडाफोन और आईओएक्स पुडुचेरी में एक नया केबल लैंडिंग स्टेशन बनाने की योजना बना रहा है।

पिछले महीने, भारती एयरटेल ने चेन्नई में नई एसईए-एमई-डब्ल्यूई 6 सबमरीन टेलीकॉम केबल उतारी। कंपनी ने 30 दिसंबर, 2024 को मुंबई में केबल पहले ही उतार दी थी।

21,700 रूट किमी (आरकेएम) सबमरीन केबल सिस्टम भारत को सिंगापुर और फ्रांस (मार्सिले) से जोड़ता है और स्थलीय केबल के माध्यम से इजिप्ट को पार करता है। इसके साथ, एयरटेल ने वैश्विक स्तर पर सबमरीन केबल सिस्टम में विविध क्षमता के साथ अपने नेटवर्क की उपस्थिति को और बढ़ाया है।

मुंबई और चेन्नई में केबल लैंडिंग एयरटेल के डेटा सेंटर आर्म, एनएक्सटीआरए के साथ पूरी तरह से इंटीग्रेट होगी।

एयरटेल का ग्लोबल नेटवर्क पांच महाद्वीपों में फैला हुआ है। कंपनी ने वैश्विक स्तर पर 34 केबल में निवेश किया है।

सबमरीन केबल 99 प्रतिशत से अधिक अंतरराष्ट्रीय डेटा एक्सचेंजों को ले जाती हैं।

पिछले महीने, मेटा ने भारत और अमेरिका के बीच डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 50,000 किलोमीटर की नई अंडर सी केबल परियोजना ‘वॉटरवर्थ’ की घोषणा की।

कंपनी के अनुसार, प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ अमेरिका, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में इंडस्ट्री-लीडिंग कनेक्टिविटी लाएगा।

परियोजना पूरी हो जाने के बाद यह पांच प्रमुख महाद्वीपों तक पहुंच जाएगी और 50,000 किलोमीटर (पृथ्वी की परिधि से भी अधिक) तक फैलेगी, जिससे यह उपलब्ध उच्चतम क्षमता वाली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दुनिया की सबसे लंबी सबसी केबल परियोजना बन जाएगी।

मेटा के अनुसार, भारत में डिजिटल सर्विस की बढ़ती मांग की वजह से यह निवेश आर्थिक विकास, लचीले इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंक्लूशन के लिए मेटा के कमिटमेंट की पुष्टि करता है, जो भारत के संपन्न डिजिटल लैंडस्कैप को सपोर्ट करता है और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन को बढ़ावा देता है।

सब सी केबल परियोजनाएं ग्लोबल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की रीढ़ हैं, जो दुनिया के महासागरों में 95 प्रतिशत से अधिक अंतरमहाद्वीपीय ट्रैफिक के लिए जिम्मेदार हैं, जो डिजिटल कम्युनिकेशन, वीडियो एक्सपीरियंस और ऑनलाइन लेनदेन को सहजता से सक्षम बनाती हैं।

–आईएएनएस

एसकेटी/एएस


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