Saturday, March 15, 2025

मध्य आयु में आहार, कमर-से-कूल्हे के अनुपात का बाद में संज्ञानात्मक कार्य से होता है संबंध : अध्‍ययन


नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। एक अध्ययन के अनुसार, मध्य आयु में आहार की गुणवत्ता और कमर-से-कूल्हे का अनुपात बाद के जीवन में मस्तिष्क की कनेक्टिविटी और संज्ञानात्मक प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है।

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि स्वस्थ आहार लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के लोगों में ओसीसीपिटल लोब और सेरिबैलम के साथ हिप्पोकैम्पस का कार्यात्मक संपर्क बेहतर होता है, साथ ही श्वेत पदार्थ भी बेहतर होता है।

इनसे मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में कार्यशील स्मृति, कार्यकारी कार्य और समग्र संज्ञानात्मक प्रदर्शन में सुधार हुआ।

दूसरी ओर, मध्य आयु में जिन लोगों के कमर-से-कूल्हे का अनुपात अधिक था, उनमें श्वेत पदार्थ की अखंडता में व्यापक कमी देखी गई, जिसके कारण उनकी स्मृति और कार्यकारी कार्य पर प्रभाव पड़ा।

इन क्षेत्रों में कम आंशिक अनिसोट्रॉपी खराब संज्ञानात्मक प्रदर्शन से जुड़ी थी।

जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा, “मध्य आयु में स्वस्थ आहार और कमर से कूल्हे का कम अनुपात वृद्धावस्था में बेहतर मस्तिष्क स्वास्थ्य से संबंधित है।”

आहार संबंधी आदतों में वैश्विक बदलावों ने मोटापे, हृदय रोग और मधुमेह की दरों में वृद्धि में योगदान दिया है, जो सभी मनोभ्रंश के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं।

आहार, चयापचय स्वास्थ्य और मस्तिष्क कार्य के बीच संबंधों पर शोध मुख्य रूप से व्यक्तिगत पोषक तत्वों पर केंद्रित रहा है, तथा समग्र आहार गुणवत्ता और दीर्घ अवधि में शरीर में वसा वितरण का आकलन करने वाले अध्ययन कम ही हुए हैं।

पिछले अध्ययनों ने सुझाया है कि मध्य आयु संज्ञानात्मक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, फिर भी आहार और मस्तिष्क कनेक्टिविटी पर दीर्घकालिक अध्ययन साक्ष्य सीमित हैं।

अध्ययन में आहार की गुणवत्ता और कमर से कूल्हे के अनुपात में अनुदैर्ध्य परिवर्तनों का विश्लेषण किया गया, ताकि उम्र बढ़ने में हिप्पोकैम्पल कनेक्टिविटी और संज्ञानात्मक कार्य के साथ उनके संबंध का आकलन किया जा सके।

टीम ने आहार गुणवत्ता विश्लेषण में 512 प्रतिभागियों को और कमर-से-कूल्हे अनुपात विश्लेषण में 664 प्रतिभागियों को शामिल किया।

निष्कर्ष बताते हैं कि आहार में सुधार और केंद्रीय मोटापे को प्रबंधित करने के उपाय 48 से 70 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी


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