फ्रांस, 1 जुलाई | (Difficulties for president macron in French Parliamentary Elections) फ्रांस के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी La République En Marche! (LREM) और उनके गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति बनती जा रही है। पहले चरण के परिणामों के बाद यह साफ हो गया है कि उन्हें नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल करना आसान नहीं होगा।
मैक्रों की पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं?
हाल के अनुमानों के अनुसार, मैक्रों की République En Marche! पार्टी और उनके गठबंधन को 70 से 100 सीटों के बीच मिलने की संभावना है। यह संख्या बहुत कम है, जिससे यह स्थिति बन रही है कि अगर उनकी पार्टी हार भी जाती है, तो भी मैक्रों राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे।
मैक्रों का राष्ट्रपति पद पर इस्तीफा देने का सवाल
मैक्रों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि चाहे कोई भी चुनाव जीतें, वे राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा है कि “चाहे संसद में कोई भी बहुमत प्राप्त करे, मैं राष्ट्रपति पद पर बने रहूंगा।” उनका यह बयान उनके राजनीतिक इरादों को स्पष्ट करता है कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने पद से हटने के मूड में नहीं हैं।
यदि नेशनल रैली को बहुमत मिलता है तो क्या होगा?
यदि मरीन ले पेन की पार्टी Rassemblement National (RN) को संसदीय चुनाव में बहुमत मिल जाता है, तो राष्ट्रपति मैक्रों की स्थिति संसद में कमजोर हो जाएगी। उन्हें किसी भी नए विधेयक को पास कराने या नई नीतियों को लागू करने के लिए विपक्षी पार्टियों के समर्थन की जरूरत होगी।
फ्रांस में राष्ट्रपति और संसद के चुनावों की प्रक्रिया
फ्रांस में राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव अलग-अलग होते हैं। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में एक पार्टी जीत सकती है, जबकि नेशनल असेंबली में दूसरी पार्टी बहुमत हासिल कर सकती है। 2022 में भी ऐसा ही हुआ था जब मैक्रों राष्ट्रपति बने, लेकिन उनकी पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिला था।
मरीन ले पेन की पार्टी की संभावनाएं
नेशनल रैली को संसद में पूर्ण बहुमत मिलने की संभावना फिलहाल कम नजर आती है, लेकिन पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है। अगर ऐसा होता है, तो फ्रांस में एक सह-अस्तित्व वाली सरकार बन सकती है। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री विभिन्न पार्टियों से होंगे, जैसे कि पहले भी हो चुका है, जब घरेलू नीतियां प्रधानमंत्री और विदेश व रक्षा नीतियां राष्ट्रपति संभालते थे।
जॉर्डन बार्डेला का बयान
नेशनल रैली के युवा नेता जॉर्डन बार्डेला ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है, तो वे प्रधानमंत्री बनने की इच्छा नहीं रखते। उन्होंने कहा है कि वे “मैक्रों के सहायक बनने की बजाय, अपनी पार्टी के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेंगे।”
मैक्रों की स्थिति पर संभावित प्रभाव
अगर नेशनल रैली के पास संसद में बहुमत होता है, तो यह सह-अस्तित्व वाली सरकार की ओर ले जा सकता है, जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की शक्तियों में बंटवारा होगा। इसके साथ ही, मैक्रों ने चेतावनी दी है कि कट्टरपंथी पार्टियां देश को गृह युद्ध की ओर ले जा सकती हैं, जिससे देश की स्थिरता पर खतरा पैदा हो सकता है।
यूरोपीय संसद चुनाव में हार की छाया
यूरोपीय संसद के हालिया चुनावों में मैक्रों की पार्टी को 15% से भी कम वोट मिले, जबकि नेशनल रैली को 31.4% वोट मिले। इस हार ने मैक्रों के लिए राजनीतिक संकट को और बढ़ा दिया है। उन्होंने संसद को भंग करने का निर्णय लिया, यह दिखाते हुए कि वे नकारात्मक स्थिति को बदलने के लिए तैयार हैं।
फ्रांस के संसदीय चुनाव के पहले चरण के परिणाम और चुनावी परिदृश्य मैक्रों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहे हैं। संसद में बहुमत की कमी और कट्टरपंथी पार्टी की बढ़ती ताकत उनके राष्ट्रपति पद को लेकर नई समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या मैक्रों अपने राजनीतिक लक्ष्य को बनाए रखने में सफल होते हैं या फ्रांस की राजनीति में एक नया मोड़ आएगा।