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भारत को शक्तिशाली राष्ट्र मानता है आस्ट्रेलिया, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चाहता है साथ

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भारत को शक्तिशाली राष्ट्र मानता है आस्ट्रेलिया, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चाहता है साथ

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नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री- India TV Hindi

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नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री

आस्ट्रेलिया भारत को शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखता है। उसे यह भी लगता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागीरी को रोकने के लिए भारत का साथ जरूरी है। इसलिए वह भारत के साथ रणनीतिक सहयोग को बढ़ाना चाहता है। ऑस्ट्रेलिया द्वारा जारी एक ऐतिहासिक रक्षा रणनीतिक समीक्षा में कहा गया है कि उसे भारत सहित प्रमुख शक्तिशाली देशों के साथ अपने सैन्य संबंध और व्यावहारिक सहयोग विस्तारित करते रहना चाहिए। रणनीतिक समीक्षा में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर पर चीन के संप्रभुत्ता के दावे ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक नियम आधारित व्यवस्था को खतरे में डाल दिया है जो ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाएगा।

रिपोर्ट में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्तिशाली देशों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने को भी रेखांकित किया गया है और कहा गया है कि इससे क्षेत्र में ऑस्ट्रेलियाई हितों को खतरा पैदा होता है। इसमें कहा गया है, ‘‘हमारा गठबंधन साझेदार अमेरिका, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अब एक ध्रुवीय नेतृत्वकर्ता नहीं है। चीन-अमेरिका के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा हमारे क्षेत्र और हमारे समय को परिभाषित कर रही है।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारे क्षेत्र में शक्तिशाली देशों के बीच प्रतिस्पर्धा हमारे हितों को खतरा पैदा कर सकती है। यह टकराव भी पैदा कर सकती है। टकराव का स्वरूप भी बदल गया है।’’

आस्ट्रेलिया भारत और जापान से मजबूत करना चाहता है दोस्ती

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया हिंद महासागर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश है जिसकी क्षेत्र में सबसे लंबी तटरेखा है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ऑस्ट्रेलिया को जापान और भारत सहित प्रमुख देशों के साथ अपना संबंध एवं व्यावहारिक सहयोग जारी रखना चाहिए।’’ यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया के पूर्व रक्षा बल प्रमुख एंगस ह्यूस्टन और पूर्व रक्षा मंत्री स्टीफन स्मिथ ने लिखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच स्थिर संबंध दोनों देशों तथा विस्तृत क्षेत्र के हित में हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘ऑस्ट्रेलिया, चीन से सहयोग करना जारी रखेगा, जहां हम कर सकते हैं। जहां असहमति है वहां हम अपने मतभेदों को दूर कर सकते हैं और अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ा सकते हैं।’

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