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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। भले ही कांग्रेस हाल ही में तीन हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हार गई, लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि इस हार ने ‘इंडिया’ गठबंधन में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सबसे पुरानी पार्टी की संभावनाओं और मोल-भाव की शक्ति को कम नहीं किया है।
नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, ”तीन राज्यों के नतीजे बेशक निराशाजनक हैं, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि कांग्रेस का सफाया हो गया है।”
आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस अभी भी भाजपा के खिलाफ मुख्य ताकत बनी हुई है और सबसे पुरानी पार्टी की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उपस्थिति है, जहां क्षेत्रीय दलों की कोई पकड़ नहीं है।
जब उन्हें याद दिलाया गया कि कांग्रेस उत्तर भारत में केवल हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है और झारखंड तथा बिहार में वह क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ गठबंधन में है, तो पार्टी नेता ने कहा, ”इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में गठबंधन में चुनाव लड़ना होगा क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), झारखंड मुक्ति मोर्चा और समाजवादी पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां वहां मजबूत हैं।”
पार्टी के एक सूत्र ने भी नेता की भावनाओं से सहमति जताई और कहा, ”हमें जमीनी हकीकत को स्वीकार करना होगा कि इन राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत हैं और कांग्रेस को उनका समर्थन हासिल करने की जरूरत है।”
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के बाद कांग्रेस की मौजूदगी बाकी सभी राज्यों में है और विशेष रूप से पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है।
सूत्रों ने कहा कि पार्टी उत्तर भारत में भाजपा के लिए सीधा खतरा पेश करती है और वह उसे चुनौती जरूर देगी।
सूत्रों ने कहा कि जब इंडिया गठबंधन में राज्यों के लिए सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होगी, तो हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों का सबसे पुरानी पार्टी के मोल-भाव की शक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस बीच, पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में खराब संबंधों को देखते हुए आप और समाजवादी पार्टी से निपटना आसान नहीं होगा। पार्टी नेता ने कहा कि दिल्ली और पंजाब में सत्ता पर काबिज आप को इन दोनों राज्यों की सीटों पर आम सहमति बनानी होगी।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में आप के खिलाफ कांग्रेस मुख्य पार्टी रही है, जबकि दिल्ली में उसे आप के अलावा भाजपा का भी सामना करना पड़ा है, जिसने राष्ट्रीय राजधानी में सभी सात लोकसभा सीटें जीती थीं। पार्टी नेता ने आगे कहा कि सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान गठबंधन सहयोगियों के बीच सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
बुधवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया गठबंधन फ्लोर नेताओं के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की थी और 2024 की रणनीति तैयार करने तथा सीट बंटवारे के लिए बातचीत शुरू करने के लिए दिसंबर के तीसरे सप्ताह में गठबंधन की अगली बैठक बुलाने का निर्णय लिया।
31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक के बाद, घोषणा की गई थी कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए 14 सदस्यीय समन्वय समिति और 19 सदस्यीय चुनाव रणनीति समिति बनाएगी।
इंडिया ब्लॉक की 14 सदस्यीय समन्वय समिति में कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, एनसीपी के शरद पवार, डीएमके के टीआर बालू, झामुमो के हेमंत सोरेन, शिवसेना के संजय राउत, राजद के तेजस्वी यादव, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, आप के राघव चड्ढा, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, जेडीयू के ललन सिंह, सीपीआई के डी. राजा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती शामिल हैं। सीपीआई (एम) कमेटी के लिए अपनी पार्टी के नेता का नाम बाद में देगी।
गठबंधन की अभियान समिति में कांग्रेस के गुरदीप सिंह सप्पल, जद (यू) के संजय झा, शिवसेना के अनिल देसाई शामिल हैं।
राजद के संजय यादव, एनसीपी के पीसी चाको, झामुमो के चंपई सोरेन, समाजवादी पार्टी के किरणमय नंदा, आप के संजय सिंह, सीपीआई (एम) के अरुण कुमार, सीपीआई के बिनॉय विश्वम, नेशनल कॉन्फ्रेंस के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी, आरएलडी के शाहिद सिद्दीकी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, एआईएफबी के जी देवराजन, सीपीआई-एमएल के रवि रॉय, वीसीके के थिरुमावलवन, आईयूएमएल के केएम कादर मोइदीन, केसी (एम) के जोस के मणि शामिल हैं। टीएमसी ने अभी तक पैनल के लिए कोई नाम नहीं दिया है।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम
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