Thursday, November 7, 2024

'छूना' स्टारर ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने बीपीओ की नौकरी से मिली सैलरी से भरी एफटीआईआई की फीस


मुंबई, 29 अगस्त (आईएएनएस)। एक्टर ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की स्ट्रीमिंग सीरीज ‘छूना’ जल्द ही आने वाली है। उन्होंने बताया कि अपनी बीपीओ नौकरी से हुई कमाई अपनी एफटीआईआई एजुकेशन पर खर्च की।

एक्टर ने साझा किया कि एफटीआईआई पुणे एक ऐसी जगह है जहां वह भोपाल में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद प्रवेश करना और अभिनय की कला सीखना चाहते थे।

एक्टर ने कहा, “जब मैंने वहां एफटीआईआई एक्टिंग कोर्स के बारे में रिसर्च की, तो मुझे पता चला कि 1,500 रुपये का आवेदन फॉर्म भरना होगा और एनुअल फीस 1.25 लाख होगी। मैं और मेरा परिवार इतनी रकम वहन नहीं कर सकता था।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने कई बीपीओ नौकरियों के लिए आवेदन किया क्योंकि वहां लोग दो अंकों में वेतन कमा रहे थे, जो उस समय बहुत बड़ी बात थी। मुझे पुणे स्थित इंफोसिस बीपीओ में नौकरी मिल गई। मैंने उस अवसर का लाभ उठाया क्योंकि मैं पुणे में रहना चाहता था, जहां एफटीआईआई था।

मैंने सोचा कि मैं अपनी नौकरी से पैसे कमाऊंगा और बचाऊंगा, फिर एफटीआईआई में एडमिशन लूंगा और उस बचत से अपनी फीस का भुगतान करूंगा। मैंने इस प्लान पर काम करना शुरू किया और दूसरे प्रयास में मेरा सलेक्शन एफटीआईआई में हो गया।”

एक्टर ने आईएएनएस के साथ साझा किया, “मैंने इंस्टिट्यूट के निदेशक से अनुरोध किया कि वे मुझे इंटीग्रेटेड कोर्स के दौरान अगले 6 महीनों के लिए नाइट शिफ्ट जारी रखने की अनुमति दें और मुझे इन्सटॉलमेंट्स में अपनी फीस का भुगतान करने दें।

वह काफी दयालु थे। जैसे ही एक्टिंग स्पेशलाइजेशन शुरू हुई, मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी लेकिन पूरे दो साल की फीस का प्रबंधन करना एक निरंतर संघर्ष था। आपका नाम बार-बार फीस डिफॉल्टरों की लिस्ट में आना शर्मनाक है, मैं अक्सर सोचता था कि मैं खुद को आर्थिक रूप से सहारा देने के लिए कौन सी नौकरी कर सकता हूं, एटीएम के सुरक्षा गार्ड और रात में परिसर में चाय बेचने वाले कुछ ऐसे विचार थे जिन्हें मैं आजमाने के बहुत करीब था।”

उन्होंने कहा, “इसके बाद, शत्रुघ्न सिन्हा, शबाना आजमी और जया बच्चन की कुछ स्कॉलरशिप की मदद से मैं अपना एक्टिंग कोर्स पूरा कर सका। एफटीआईआई ने न केवल मुझे फिल्म एक्टिंग की कला सीखने और एक एक्टर के रूप में आत्मविश्वास हासिल करने का अवसर दिया बल्कि इसने मुझे एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने के लिए माहौल, एक्सपोजर और जगह भी दी। वह स्थान मेरे लिए दूसरा घर है, इसने मुझे उस समय गले लगाया और पोषित किया जब मुझे इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी।”

–आईएएनएस

पीके/एबीएम


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