Thursday, March 13, 2025

परमाणु वार्ता : ईरानी विदेश मंत्री को मिला अमेरिकी राष्ट्रपति का पत्र


तेहरान, 13 मार्च (आईएएनएस)। ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची को परमाणु वार्ता पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक पत्र मिला है। ईरान की अर्ध-सरकारी फार्स समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने फार्स के हवाले से बताया कि यह पत्र। इसमें कथित तौर पर तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत की अपील की गई है।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार अनवर गरगाश ने कुछ अन्य ईरानी अधिकारियों की उपस्थिति में अराघची को पत्र सौंपा।

अर्ध-सरकारी तस्नीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अराघची ने बुधवार को कहा कि ईरान परमाणु मुद्दे पर समान शर्तों पर बातचीत करने के लिए हमेशा तैयार रहा है।

अराघची ने कहा कि ईरान ने पहले 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने पर बातचीत की थी, यह अमेरिका ही है जो इस समझौते से हट गया था।

उन्होंने कहा कि ईरान फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के साथ परमाणु समेत कई मुद्दों पर बातचीत कर रहा है और जल्द ही बातचीत का एक नया दौर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि देश अन्य अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ भी बातचीत कर रहा है।

अराघची ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम परमाणु अप्रसार संधि के ढांचे के भीतर संचालित होता है और यह पूरी तरह से गतिशील है और प्रगति कर रहा है।

शुक्रवार को फॉक्स बिजनेस नेटवर्क के साथ एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि वह ईरान के साथ परमाणु मुद्दे पर बातचीत करना चाहते हैं और उन्होंने देश के नेतृत्व को एक पत्र भेजा है। ईरान ने जुलाई 2015 में छह प्रमुख देशों – ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, अमेरिका – के साथ एक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे औपचारिक रूप से संयुक्त व्यापक कार्य योजना के रूप में जाना जाता है, जिसमें प्रतिबंधों से राहत के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध स्वीकार किए गए थे।

ईरान ने 2015 में विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे औपचारिक रूप से ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है। जेसीपीओए को ईरान परमाणु समझौता या ईरान डील के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत प्रतिबंधों में राहत और अन्य प्रावधानों के बदले में ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर राजी हुआ था।

इस समझौते को 14 जुलाई 2015 को वियना में ईरान, पी5+1 (संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका- प्लस जर्मनी) और यूरोपीय संघ के बीच अंतिम रूप दिया गया।

अमेरिका ने 2018 में समझौते से खुद को अलग कर लिया और ‘अधिकतम दबाव’ की नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिए। प्रतिबंध ईरान के साथ व्यापार करने वाले सभी देशों और कंपनियों पर लागू हुए और इन्होंने तेहरान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से अलग कर दिया, जिससे परमाणु समझौते के आर्थिक प्रावधान शून्य हो गए।

जेसीपीओए को फिर से लागू करने के लिए बातचीत अप्रैल 2021 में ऑस्ट्रिया के वियना में शुरू हुई। कई राउंड की वार्ता के बावजूद, अगस्त 2022 में अंतिम दौर की वार्ता के बाद से कोई महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल नहीं हुई है।

–आईएएनएस

एमके/


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