नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मॉरीशस दौरे पर रवाना होने वाले हैं। अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर पीएम मोदी द्वीपीय राष्ट्र के राष्ट्रीय दिवस समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल होंगे। वह मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के निमंत्रण पर वहां जा रहे हैं। इसी बीच 27 साल पहले जब पीएम मोदी पहली बार मॉरीशस दौरे पर गए थे, उससे जुड़ी यादें और फोटो वायरल हो रही हैं। मॉरीशस को ‘मिनी इंडिया’ भी कहा जाता है। यहां पर 60 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं। साथ ही भारतीय त्योहारों को धूमधाम से भी मनाते हैं।
ऐसे में 27 साल पहले की पुरानी कहानी याद की जा रही है। मोदी आर्काइव नामक सोशल मीडिया हैंडल से उनकी फोटो शेयर की गई है। पोस्ट में बताया गया है, ”भारत और मॉरीशस के बीच इतिहास, वंश, संस्कृति, भाषा और हिंद महासागर का गहरा रिश्ता है। प्रधानमंत्री मोदी को मॉरीशस की यात्रा पर ‘मिनी इंडिया’ में घर वापसी जैसा महसूस हुआ था। एक सदी से भी पहले, हमारे पूर्वज मजदूर के रूप में वहां गए थे, अपने साथ तुलसीदास की रामायण, हनुमान चालीसा और हिंदी भाषा लेकर गए थे। लेकिन एक और संबंध है, जो 27 साल पहले 1998 में शुरू हुआ था, जब नरेंद्र मोदी पहली बार मॉरीशस गए थे।”
पोस्ट में आगे लिखा है, ”प्रधानमंत्री मोदी के मॉरीशस के साथ संबंध उस समय से हैं, जब वे किसी सार्वजनिक पद पर नहीं थे और भाजपा के लिए अथक परिश्रम कर रहे थे। क्या आप जानते हैं? 2 से 8 अक्टूबर 1998 के बीच नरेंद्र मोदी मोका में ‘अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन’ को संबोधित करने के लिए मॉरीशस दौरे पर गए थे। उस समय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उन्होंने भगवान राम के सार्वभौमिक मूल्यों के बारे में बात की और बताया कि किस प्रकार रामायण भारत और मॉरीशस को जोड़ने में पुल की तरह काम करता है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने मुरली मनोहर जोशी से भी मुलाकात की थी।”
मोदी आर्काइव के अनुसार, ”1998 की अपनी यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस के लोगों से संपर्क किया, उनकी आकांक्षाओं को समझा और ऐसी मित्रता बनाई, जो आज भी कायम है। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति कसाम उतीम, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और विपक्ष के नेता सर अनिरुद्ध जगन्नाथ सहित प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत की। उन्होंने पॉल रेमंड बेरेन्जर से भी मुलाकात की, जो बाद में मॉरीशस के प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी ने समझा कि कैसे मॉरीशस की आजादी की लड़ाई भारत की अपनी आजादी की लड़ाई का प्रतिबिंब है। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने सर शिवसागर रामगुलाम वनस्पति उद्यान में राष्ट्रपिता सर शिवसागर रामगुलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। उस नेता को सम्मानित किया, जिन्होंने मॉरीशस को आजादी दिलाई।”
पोस्ट में आगे लिखा गया, ”12 मार्च 2015 को मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय भवन में भवन निर्माण आरंभ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी और मॉरीशस के बीच गहरे संबंधों पर प्रकाश डाला था। उन्होंने बताया कि किस तरह गांधी का प्रभाव भारत से बाहर भी फैला और उन्होंने प्रवासी भारतीयों के विचारों और आकांक्षाओं को आकार दिया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस संबंध का सबसे मजबूत प्रतीक ‘हिंदुस्तानी’ अखबार है, जो मॉरीशस में एकता और भाषा सद्भाव के लिए एक शक्तिशाली आवाज के रूप में उभरा। महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर, अखबार ने एक सदी से भी पहले तीन-भाषा फॉर्मूला अपनाया- गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में पेज प्रकाशित करना। यह एक एकीकृत शक्ति बन गया, जिसने भाषा विभाजनों के पार लोगों को एक साथ लाने और उनकी साझा पहचान को मजबूत किया। गांधी से इस जुड़ाव को नरेंद्र मोदी ने 1998 में अपनी यात्रा के दौरान प्रत्यक्ष रूप से देखा था। गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर, उन्होंने मॉरीशस में भारतीय प्रवासियों से बातचीत की और महात्मा के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा का अनुभव किया। 2015 के अपने भाषण में इस पल को याद करते हुए उन्होंने कहा था, “मॉरीशस में आज भी 2 अक्टूबर मनाया जाता है। वहां जिस तरह का जश्न मनाया जाता है, वैसा हमारे यहां भी नहीं मनाया जाता। मुझे सभी के साथ 2 अक्टूबर मनाने का अवसर मिला और आज भी, उनके यहां भी हमारी तरह एक महात्मा मंदिर है, जो ऐसे आयोजनों का केंद्र है। गांधी ऑडिटोरियम विभिन्न गतिविधियों का केंद्र है। यहां अपनेपन की जबरदस्त भावना है।”
“1998 में गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी के बारे में बोलने के लिए तैयार थे। उन्होंने गांधी जी द्वारा गाए गए भजनों की एक पुस्तक मांगी, विशेष रूप से नरसिंह मेहता द्वारा “वैष्णव जन तो तेने कहिये” को उद्धृत करना और गांधी के आदर्शों को रामायण से जोड़ना चाहते थे। हालांकि, महात्मा गांधी संस्थान में यह पुस्तक उपलब्ध नहीं थी और मॉरीशस में इसे ढूंढ़ना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। काफी प्रयास के बाद, यह पुस्तक अंततः एक निजी पुस्तकालय में मिली। नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान पुस्तक के कई अंश उद्धृत किए।”
पोस्ट में बताया गया, “नरेंद्र मोदी ने 1998 की यात्रा के दौरान वहां के इतिहास और लोगों को समझने के लिए समय भी निकाला। उन्होंने पवित्र गंगा तालाब का दौरा किया, जहां उन्होंने देखा कि कैसे हिंदू परंपराएं भारत के बाहर भी पनप रही हैं।”
इसके अलावा 1998 की मॉरीशस यात्रा ने उन्हें देश के लुभावने प्राकृतिक आश्चर्यों से भी परिचित कराया। उन्होंने चामरेल सेवन कलर्ड अर्थ जियोपार्क, जो एक दुर्लभ भूवैज्ञानिक चमत्कार है, जहां रेत के टीले और रंगों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने चामरेल झरना का दौरा किया और आइल ऑक्स सेर्फ़्स की तटीय भूमि की यात्रा भी की थी।
–आईएएनएस
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