मुंबई, 21 फरवरी (आईएएनएस)। टाटा स्टील के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) टीवी नरेंद्रन ने कहा कि सरकार स्टील इंडस्ट्री के एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने के अनुरोध पर बहुत गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि सस्ते चीनी आयात भारतीय बाजार में बाढ़ की तरह आ रहे हैं और अमेरिका में शुल्कों में संभावित वृद्धि के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
नरेंद्रन ने कहा, उन्हें विश्वास है कि इंडस्ट्री से विस्तृत स्पष्टीकरण लेने के बाद सरकार जल्द ही इस मुद्दे को लेकर अपडेट जारी करेगी।
भारतीय स्टील एसोसिएशन (आईएसए) ने डंपिंग को लेकर पहले ही डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडी (डीजीटीआर) के पास एक आवेदन दिया हुआ है, जो कि अंडर रिव्यू है।
सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत करते हुए नरेंद्रन ने कहा कि भारत स्टील उत्पादन के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। भारतीय स्टील इंडस्ट्री ने सबसे आधुनिक और किफायती स्टील प्लांट बनाए हैं।
देश में लौह अयस्क का भी बहुत भंडार है, लेकिन समस्या यह है कि विदेशी संस्थाएं कम कीमत पर स्टील बेचने को तैयार हैं।
उन्होंने आगे कहा कि चीनी स्टील इंडस्ट्री बड़े घाटे में है और वहां की ज्यादातर सरकारी स्टील कंपनियां घाटा दर्ज कर रही हैं। भारत की स्टील इंडस्ट्री को निजी कंपनियां संचालित करती हैं। अगर यहां कंपनियां मुनाफा नहीं कमाएंगी, तो नई क्षमता में निवेश कैसे करेंगी।
नरेंद्रन ने कहा कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति आयात पर शुल्क बढ़ाने के अपने प्रस्ताव पर आगे बढ़ते हैं तो इससे टाटा स्टील को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान होगा।
उन्होंने बताया कि टाटा स्टील अपनी मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं से अमेरिकी बाजार में भी स्टील का निर्यात करती है, जो टैरिफ में वृद्धि से सीधे प्रभावित होगी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान भारत का स्टील निर्यात 28.9 प्रतिशत घटकर 3.99 मिलियन टन रह गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 5.61 मिलियन टन था। भारत वर्तमान में स्टील का शुद्ध आयातक है और वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-जनवरी के दौरान 8.29 मिलियन टन स्टील का आयात किया है।
–आईएएनएस
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