Wednesday, February 5, 2025

कर सुधार बजट 2025-26 का महत्वपूर्ण तत्व : तुहिन कांत पांडेय


नई दिल्ली, 4 फरवरी (आईएएनएस)। वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने मंगलवार को कहा कि कर सुधार आम बजट का महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि अर्थव्यवस्था के शेष हिस्से पर इसका काफी प्रभाव पड़ता है। इसे पहली बार बजट के पार्ट-ए में शामिल किया गया है।

एसोचैम के बजट बाद सम्मेलन में वित्त सचिव ने कहा, “बहुत ज्यादा करों के प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। हमने करों में वृद्धि न करने का साहसिक कदम उठाया है। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है, कर आधार का विस्तार करें, अर्थव्यवस्था का विस्तार करें, कर राजस्व भी अपने-आप बढ़ेगा।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि पिछले तीन साल में व्यक्तिगत आयकर में 20-25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक ही करदाता पर बहुत ज्यादा कर लगाकर कोई फायदा नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि आय सृजन के लिए व्यापक अवसर तैयार करने और स्वैच्छिक अनुपालन का माहौल बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

तुहिन कांत पांडेय ने कहा, “बजट बनाना वास्तव में विभिन्न अनिवार्यताओं को संतुलित करना है और कभी भी चीजों को अलग-अलग नहीं रखा जा सकता।”

पांडेय ने कहा कि बजट में घोषित भारत व्यापार नेट सभी हितधारकों को जोड़ेगा और सीमा शुल्क प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा। यह महज यूपीआई नहीं है, यह उससे कहीं अधिक क्षमता रखता है।

उन्होंने कहा, “यह अब मानकों के अनुपालन तक सीमित नहीं है; जीएसटी की हमारी अवधारणा की दुनिया में बेमिसाल है और हमने जो हासिल किया है, हमें उस पर गर्व होना चाहिए।”

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा, “समय के साथ कर विभाग का दृष्टिकोण बदल गया है। मार्गदर्शक सोच यह है कि सवाल केवल कर एकत्र करने के बारे में नहीं है और कर मूल रूप से आय के एक हिस्से का परिणाम है, आप आय सृजन करते हैं और फिर अपने-आप कर राजस्व मिलता है। प्रत्यक्ष कर अधिनियम में संशोधन, कर स्लैब में बदलाव और छूट को इसी नजरिये से देखा गया है।”

उन्होंने बताया कि टीडीएस और टीसीएस प्रावधानों को तर्कसंगत बनाना, उन प्रावधानों को अपराध मुक्त करना और बजट में शामिल अपडेट रिटर्न की अवधारणा का उद्देश्य व्यापार करने में आसानी को सुविधाजनक बनाना है।

सीबीडीटी के अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार एक सक्षम वातावरण और प्रौद्योगिकी-संचालित पारदर्शी कर प्रशासन के साथ सक्रिय, नियम-आधारित, यूजर के अनुकूल, डेटा-संचालित और हस्तक्षेप न करने का विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपना रही है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, “औद्योगिक वस्तुओं से संबंधित 12,500 टैरिफ लाइनों में से 8,500 टैरिफ लाइनों के संबंध में सीमा शुल्क दर को युक्तिसंगत बनाया गया है। कृषि वस्तुओं और वस्त्रों में उनकी अत्यधिक संवेदनशील प्रकृति के कारण बदलाव नहीं किया गया है। ये दरें लगभग दो दशकों से अपरिवर्तित बनी हुई हैं और ऐसी धारणा है कि भारत में दरें बहुत अधिक हैं। दरों को अब 20 प्रतिशत तक युक्तिसंगत बनाया गया है जो 70 से 20 प्रतिशत के बीच थीं, और जो 70 प्रतिशत से अधिक थीं उन्हें 70 प्रतिशत तक लाया गया है। प्रभावी शुल्क को उसी दर या थोड़ी कम दर पर रखने के लिए ईआईडीसी की समान राशि लगाई गई है ताकि इसका प्रभाव अचानक न सामने आए।”

कर-संबंधी प्रस्तावों के विश्लेषण पर केंद्रित स्वागत भाषण में एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने “राजकोषीय विवेक सुनिश्चित करते हुए” केंद्रीय बजट 2025-26 को जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने के लिए सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग के लिए महत्वपूर्ण कर राहत की शुरुआत से बचत और उपभोग को बढ़ाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने व्यापार को आसान बनाने की पहल और वित्तीय विनियमन के माध्यम से व्यापार के अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जो सतत व्यापार विस्तार में मददगार होगा।

–आईएएनएस

एकेजे/


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