Tuesday, February 4, 2025

विपक्षी सांसदों ने कहा, 'महाकुंभ भगदड़ मामले में मौतों का सही आंकड़ा पेश करे सरकार'


नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। बजट सेशन के तीसरे दिन विपक्ष ने सोमवार को महाकुंभ भगदड़ मामले में सदन में हंगामा किया। विपक्ष की मांग है कि राज्य सरकार भगदड़ से हुई मौतों का सही आंकड़ा पेश करे। महाकुंभ भगदड़ मामले पर समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा क‍ि कुंभ मेले में प्रशासनिक लापरवाही और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की देखरेख में बनाए गए पुलों को बंद करने और केवल अखाड़ों व वीवीआईपी के लिए खोलने के कारण यह त्रासदी हुई।

सपा सांसद ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस घटना में हजारों लोग मारे गए, कुछ लोग गंगा में बह गए और अन्य दब गए। लेक‍िन मुख्‍यमंत्री का अध‍िकार‍ियों को न‍िर्देश है क‍ि यह संख्‍या 30 से अधिक नहीं होनी चाहिए। मृतकों के परिजनों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे 15 से 20 हजार रुपये लेकर शव को ले जाएं। किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां सदन में मुद्दा उठाते हैं, तो रिजेक्ट कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कुंभ में इतनी बड़ी त्रासदी हुई, फिर भी वास्तविक संख्या छिपाई जा रही है। क्या लोगों को यह जानने का अधिकार नहीं है कि उनके परिवार के सदस्य जो वहां गए थे, वे जीवित हैं या नहीं। यहां तक ​​कि एक बुनियादी सूची भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उनका दावा है कि केवल 30 लोग मरे हैं- तो कम से कम उन 30 लोगों के नाम तो जारी करें। वे कौन हैं, कहां से थे। यह जानकारी भी उपलब्ध नहीं है। यह केवल एक राज्य का मुद्दा नहीं है, यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है।

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि यह सिर्फ हमारे बारे में नहीं है, पूरा देश परेशान है और अपने लोगों की तलाश कर रहा है। पुष्ट रिपोर्ट बताती है कि ट्रक में लावारिस मोबाइल फोन मिले हैं। लेकिन कोई नहीं जानता कि उनके मालिक कहां हैं। इस बीच, अधिकारी प्रमाण पत्र जारी करने में व्यस्त हैं। अगर संतों में से कोई कमी बताता है, तो उसे बदनाम करने की कोशिश की जाती है। सच्चाई यह है कि कुंभ इससे पहले भी था और इससे बाद भी जारी रहेगा। कुंभ निरंतरता के बारे में है, जबकि राजनीतिक दल ऐसा नहीं करते। लोग जवाबदेही चाहते हैं।

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि संपूर्ण विपक्ष चाहता है कि सदन में शांतिपूर्वक काम हो। इसलिए हमने सरकार के कुप्रबंधन के कारण कुंभ मेले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने की मांग को लेकर एक घंटे का वॉकआउट किया। एक घंटे बाद जब विषय बदल गया तो हमने फिर से मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि मृतकों की संख्या का खुलासा न हो व घटना की परिस्थितियों पर चर्चा से बचें। यह सभी भक्तों, तीर्थयात्रियों और भारत के नागरिकों का अपमान है। हमें श्रद्धांजलि देने का अवसर भी नहीं दिया जा रहा है। इसके विरोध में हमने दोपहर एक बजे तक वॉकआउट किया।

–आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी


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