प्रयागराज, 3 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित भव्य महाकुंभ में सोमवार को वसंत पंचमी के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम पर आध्यात्मिक गुरुओं, श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान में आस्था की डुबकी लगाई। संगम में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई।
अखाड़ों ने अपने भक्तों का नेतृत्व करते हुए सुबह-सुबह संगम की यात्रा शुरू की, जहां उन्होंने गंगा और यमुना के पवित्र संगम में डुबकी लगाई। वसंत पंचमी के साथ वसंत ऋतु का आगमन होने के साथ ही यह त्यौहार ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती को भी समर्पित है।
कुंभ मेले के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों में से एक अमृत स्नान को श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने वाला माना जाता है और आज, ज्ञान और समृद्धि की थीम के साथ इसका महत्व और भी गहरा हो गया है।
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा, “यह स्थान विश्व के कल्याण के लिए है। लोगों का कल्याण और समृद्धि सुनिश्चित हो। यह भारत की एकता और सामाजिक सद्भाव के लिए हमारा स्थान है। लोगों का कल्याण हमारा लक्ष्य है। भारत एकता और एकीकरण की भूमि है।”
असलानंद गिरी महाराज ने कहा, “व्यवस्थाएं बहुत अच्छी थीं, और मैं सभी लोगों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि युवा पीढ़ी अब वह स्वीकार कर रही है जो हम सिखाते रहे हैं।”
महामंडलेश्वर साध्वी आत्म चेतना गिरि ने भी इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आज मैं वसंत पंचमी का पावन अवसर मना रही हूं। यह अमृत स्नान है और गंगा और यमुना के पवित्र संगम में हम विभिन्न अखाड़ों के सदस्य एक साथ आएं।”
किन्नर अखाड़ा महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, “यह एक बहुत ही दिव्य और भव्य पवित्र स्नान रहा है। आज बसंत पंचमी है और आज हम भगवान सूर्य नारायण के सुंदर स्वरूप के साक्षी हैं। होली का त्योहार ज्ञान की अवतार देवी सरस्वती की पूजा के साथ शुरू होता है।”
किन्नर अखाड़े की कौशल्या नंद गिरि जैसे अन्य आध्यात्मिक गुरुओं ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। गुरु मां भगवती पुरी ने सुव्यवस्थित आयोजन की सराहना की तथा प्रशासन को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, “आज का अमृत स्नान बहुत अच्छी तरह से आयोजित किया गया था और प्रशासन के प्रयासों की विशेष सराहना की जानी चाहिए। वसंत पंचमी वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है और यह देवी सरस्वती को भी समर्पित है।”
पंचायती अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती पुरी ने कहा, “निश्चित रूप से हमारी परम्पराओं पर बहुत गर्व की बात है। आज अमृत स्थान पर यह महान आयोजन हो रहा है, जिसे देखने का सौभाग्य हमें मिला है।
स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा, “हमने गंगा की पूजा की, हमने भगवान महादेव को याद किया, हमने कार्तिक स्नान किया, हमने देवताओं को स्नान कराया। यह संदेश पूरी दुनिया में गया है कि भारतीय परंपरा में, साधु-संत और सनातन धर्म के अनुयायी एकजुट हैं।”
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, “वसंत पंचमी और अमृत स्नान के अवसर पर सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। सभी सुरक्षित तरीके से पवित्र स्नान करें। अपने निर्धारित स्थानों पर जाएं, बैठें और शांतिपूर्वक स्नान करें। पूरा मेला क्षेत्र लोगों के लिए कहीं भी स्नान करने के लिए खुला है।”
महामंडलेश्वर संतोष बाबा उर्फ सतुआ बाबा ने कहा, “यह अमृत स्नान निस्संदेह प्रकाश, चमक और समृद्धि का स्रोत है। ऐसा लगता है कि यह स्नान जीवन में आनंद, प्रकाश और समृद्धि लाएगा। वसंत पंचमी के अवसर पर मैं पूरे देश के लिए सुख और समृद्धि की कामना करता हूं।”
श्रद्धालु रेखा ने कहा, “आज वसंत पंचमी का महत्व यह है कि ज्ञान से बढ़कर कुछ भी नहीं है। आज का दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। उनकी पूजा में पीले कपड़े चढ़ाना और धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए पुण्य कर्म करना शामिल है।”
एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “इस दिन श्रद्धालु दूर-दूर से अपने परिवारों को साथ लेकर आते हैं, गंगा में पवित्र स्नान करते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। वे जानते हैं कि ऐसा करके वे ज्ञान, बुद्धि और विवेक का आशीर्वाद मांग रहे हैं।”
–आईएएनएस
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