बेंगलुरु, 4 मार्च (आईएएनएस)। हर 10 में से 9 (94 प्रतिशत) भारतीय नॉलेज वर्कर्स का मानना है कि व्यवस्थित लोग अधिक उत्पादक होते हैं। यह ऑर्डर और आउटपुट के बीच मजबूत जुड़ाव को दिखाता है। यह जानकारी मंगलवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि 56 प्रतिशत भारतीय नॉलेज वर्कर्स का मानना है कि जब वे अव्यवस्थित सहकर्मी के साथ काम करते हैं तो उन्हें अतिरिक्त काम करना पड़ता है।
एटलसियन और वेकफील्ड रिसर्च के सर्वेक्षण के अनुसार, यह अव्यवस्था के व्यापक प्रभाव को उजागर करता है, जहां अकुशलता का बोझ दूसरों पर पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से कार्यभार में वृद्धि और मनोबल में गिरावट आती है।
33 प्रतिशत पेशेवरों को अव्यवस्थित टीम के कारण काम दोबारा करना पड़ा है, जो समय और संसाधनों की बर्बादी के रूप में अव्यवस्था की प्रत्यक्ष लागत को रेखांकित करता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि 82 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागी स्वयं को अपने सहकर्मियों की तुलना में अधिक व्यवस्थित मानते हैं।
कई पेशेवरों ने कार्यों के प्रबंधन के लिए अपनी अनूठी प्रणालियां विकसित की हैं, भले ही वे प्रणालियां अपरंपरागत प्रतीत होती हों।
रिपोर्ट के मुताबिक, अव्यवस्था का संबंध उम्र से है, क्योंकि भारत में 71 प्रतिशत जनरेशन जेड और 72 प्रतिशत मिलेनियल्स इस बात से सहमत हैं कि उनकी संगठन प्रणाली अव्यवस्थित दिखती है, लेकिन यह उनके लिए पूरी तरह से काम करती है।
सर्वेक्षण में बताया गया कि 46 प्रतिशत भारतीय पेशेवर काम की दो लिस्ट (पेशेवर और निजी) बनाते हैं। वहीं, 27 प्रतिशत पेशेवर निजी और पेशेवर काम के लिए एक ही लिस्ट बनाते हैं।
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश (83 प्रतिशत) भारतीय नॉलेज वर्कर्स, विशेष रूप से सीनियर लीडर्स, अपने व्यक्तिगत जीवन को व्यवस्थित करने के लिए कार्यस्थल पर उपलब्ध कराए गए टूल्स का उपयोग कर रहे हैं।
–आईएएनएस
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