नई दिल्ली, 5 फरवरी (आईएएनएस)। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू), जो नवाचार और उच्च शिक्षा में अग्रणी है, चेन्नई के राजलक्ष्मी इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी) के साथ मिलकर भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा के नए रास्ते खोल रही है। इस साझेदारी के तहत कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग और बिजनेस व मैनेजमेंट जैसे प्रमुख विषयों में स्नातक और मास्टर डिग्री कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
इस अवसर पर एएसयू के अध्यक्ष माइकल एम. क्रो ने कहा, “भारत हमारे लिए अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है। आरईसी के साथ यह सहयोग हमारी उत्कृष्ट शिक्षा को अधिक छात्रों तक पहुंचाने और उन्हें वैश्विक स्तर पर सफल होने के लिए आवश्यक कौशल देने में मदद करेगा।”
इस समझौते के तहत छात्रों को लचीले पाठ्यक्रम मिलेंगे, जिससे वे विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और अपनी डिग्री पूरी कर सकेंगे। ये कार्यक्रम छात्रों को अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए आवश्यक कौशल और प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। वर्तमान में एएसयू में 6,600 से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे भारत एएसयू में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों वाला देश बन गया है।
राजलक्ष्मी संस्थान के उपाध्यक्ष अभय मेगनाथन ने कहा, “यह साझेदारी आरईसी के शैक्षणिक विस्तार में एक महत्वपूर्ण कदम है। एएसयू के साथ मिलकर हम छात्रों को एक ऐसा अनुभव देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ वास्तविक दुनिया की समझ भी शामिल हो। ये नए कार्यक्रम आरईसी की मजबूत शैक्षणिक नींव को एएसयू की वैश्विक विशेषज्ञता से जोड़ेंगे।” चेन्नई में 100 एकड़ में फैला यह संस्थान 10,000 से अधिक छात्रों को शिक्षा देता है और यहां 95% प्लेसमेंट दर बनी हुई है।
इस नए समझौते के साथ, आरईसी अब एएसयू-सिंटाना एलायंस का हिस्सा बन जाएगा, जो यूरोप, एशिया, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के अग्रणी विश्वविद्यालयों का एक वैश्विक नेटवर्क है। इससे आरईसी को एएसयू के व्यापक संसाधनों और अनुसंधान सहयोग के अवसरों का लाभ मिलेगा।
एएसयू के अध्यक्ष क्रो ने कहा, “सिंटाना की नवीन रणनीतियों और कार्यान्वयन क्षमताओं को अपनी विशेषज्ञता के साथ जोड़कर हम विश्वविद्यालयों को शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और विकास के नए अवसर देने में मदद कर रहे हैं। जिससे विश्व स्तरीय शिक्षा की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। यह साझेदारी एएसयू की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने और भारतीय छात्रों पर इसका सकारात्मक प्रभाव बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
–आईएएनएस
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