Friday, November 8, 2024

जिंदल स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर ने द रिस्टोरेशन टूलबॉक्स के हिस्से के रूप में डिजिटल जुड़ाव के माध्यम से संरक्षण को सक्षम बनाने पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की


सोनीपत, 27 सितंबर (आईएएनएस)। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर ने ऐश्वर्या टिपनिस आर्किटेक्ट्स (जुगाडोपोलिस) के सहयोग से ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सोनीपत में रिस्‍टोरेशन टूलबॉक्स के हिस्से के रूप में “डिजिटल जुड़ाव के माध्यम से संरक्षण को सक्षम बनाना” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की। इसका उद्देश्‍य विरासत संरक्षण में नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं को एक साथ लाना है।

रिस्टोरेशन टूलबॉक्स को ईयू नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कल्चर (ईयूएनआईसी) द्वारा ईयू द्वारा वित्त पोषित यूरोपियन स्पेसेज ऑफ कल्चर 2023 के तहत चयनित आठ अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध परियोजनाओं में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य नागरिकों और समुदायों को इमारतों को रिस्‍टोर करना, विशेषज्ञ सलाह की उपलब्धता में सुधार, और नागरिकों तथा नीति निर्माताओं के लिए सहयोग के लिए गुंजाइश प्रदान करना है।

परियोजना भागीदारों में भारत में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल, एलायंस फ्रैंकेइस डी डेल्‍ही, इंस्टीट्यूट फ्रैंकेइस एन इंडे, भारत में नीदरलैंड साम्राज्य का दूतावास, ऑस्ट्रियाई दूतावास, स्पेन का दूतावास, ऐश्वर्या टिपनिस आर्किटेक्ट्स (जुगाडोपोलिस), जस्ट एनवायरनमेंट (टॉक्सिक्स लिंक), ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, फंडासीन प्लैटोनिक और यूट्रोपियन जीएमबीएच शामिल हैं।

एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में शहरों को इमारतों की टूट-फूट का सामना करना पड़ता है। एक विश्वव्यापी घटना के रूप में, हम देखते हैं कि पुरानी इमारतों को साधारण इमारतों से बदल दिया जाता है, जो न केवल शहरी परिदृश्य को बदल देती है, बल्कि प्रदूषण के स्तर को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है, स्थानीय समुदायों के साथ-साथ ग्रह को भी नुकसान पहुँचाती है।

अनुसंधान ने साबित कर दिया है कि मौजूदा इमारतों की बहाली और अनुकूली पुन: उपयोग परिपत्र अर्थव्यवस्था और स्मार्ट शहरों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इमारतों की मरम्मत, पुनरुद्धार और पुन: उपयोग कौशल को बढ़ावा देता है, रोजगार पैदा करता है और इमारतों में सन्निहित ऊर्जा का संरक्षण करता है। हालाँकि, कभी-कभी जानकारी, अनुभव और तकनीकी कौशल तक पहुंच की कमी किसी पुरानी इमारत को बनाए रखने और उसका पुनर्निर्माण करने का निर्णय अव्यवहार्य बना देती है।

सम्मेलन का उद्घाटन प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस (डॉ.) संजीव पी. साहनी द्वारा किया गया जो जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज के संस्थापक और प्रधान निदेशक तथा कुलपति के सलाहकार भी हैं। इस मौके पर अन्य गणमान्य व्यक्ति जैसे एलायंस फ्रैंकेइस डी डिल्‍ही के निदेशक स्टीफन अमलिर; जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी के डीन प्रो. आर. सुदर्शन; और जिंदल स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर के डीन प्रोफेसर (डॉ.) जयदीप चटर्जी भी उपस्थित थे।

दो दिवसीय सम्मेलन ने शिक्षाविदों, छात्रों, प्रैक्टिसनरों और नीति निर्माताओं को विरासत क्या है, विरासत संरक्षण में प्रौद्योगिकी क्या भूमिका निभा सकती है और साथ ही विरासत, प्रौद्योगिकी तथा शासन के बीच संबंध से संबंधित सवालों का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान किया।

विशेषज्ञों ने 21वीं सदी में विरासत संरक्षण के लिए भविष्‍य की राह पर विचार-विमर्श किया।

मुख्य भाषण लिसेलॉट स्टेनफेल्ट और अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों जैसे डॉ. बेंटे वोल्फ, डॉ. डेनिएला पैटी, बारबरा मिडेलहॉफ और कई अन्य लोगों ने दिया, जिन्होंने विविध संदर्भों में विरासत संरक्षण के लिए वैश्विक दृष्टिकोण पर अंतर्दृष्टि प्रदान की।

–आईएएनएस

एकेजे


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